एक अजीब कहानी ( Ghost Stories)
6 min readJun 11, 2021
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यह कहानी एक सच्ची कहानी है या नही इसका निर्णय आप स्वयं करना लेकिन मेरे स्रोत के हिसाब से यह एक सच्ची घटना है।
इस कहानी की शुरुवात न्यू यॉर्क के कैफे क्लब से शुरू होती है। जब एक भारतीय मूल का व्यक्ति( अरुण) न्यू यॉर्क घूमने गया था और वह वाहा यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया की कैफे में एक व्यक्ति ऐसा भी बैठा है जिसने इतनी ढेर सारी मालाएं ( ताबीज) पहनी हुए है की मानो उसको पूरा शरीर ही मालाओं से ढका हुआ है। अरुण यह देखकर सोच में पड़ गया की भला एक इंसान इस समय में वो भी न्यु यॉर्क जैसे शहर में इतनी ढेर सारी मालाएं क्यों पहना हुआ है? अरुण को उस व्यक्ति के बारे में जाने की चेष्टा हुई और वह उस कैफे में बैठे आदमी से बोल पड़ा “ की आपने इतने ढेर सारी मालाएं क्यों पहनी है? ”
यह सुनकर वह आदमी मुस्कुराया और बोला की “ मै बता तो दूं आपको लेकिन क्या आप इसका विश्वास करेंगे?”
अरुण - “ऐसा क्या है इन मालाओं में जो मैं विश्वास नही कर पाऊंगा ?"
व्यक्ति- “ मेरे इस भेष भूषा के पीछे एक कारण है और क्यों मै इतनी ज्यादा ताबीज और मालाएं पहना हु इसके पीछे भी। असल में मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हु और मेरा नाम विजय है।
अरुण विजय के पास आके बैठ गया और उससे इन मालाओं के पहनने का क्या राज है बताने को कहा फिर विजय ने अरुण को कहानी सुनानी शुरू की
हुआ यू की ये कहानी आज से 10 साल पहले की है जब विजय अपनी पढ़ाई पूरी करके घर वापस आया हुआ था। उसके घर पे नीचे उसके मम्मी पापा रहा करते थे और ऊपर विजय रहा करता था । चूंकि कॉलेज के दिनों में उसे सिगरेट पीने की आदत थी तो वो घर पे भी सिगरेट पीने बालकनी में चला जाता था।
लेकिन इनसारी चीजों में एक चीज उसके साथ बहुत आम थी की जब भी वो सिगरेट पीने उपर बालकनी पे जाता उसे पड़ोस में एक लड़की दिखाई देती जो अपने बालकनी पे खड़ी रहती थी। लेकिन विजय ने इस बात पे कभी ध्यान नहीं दिया। दिन बीतता गया लेकिन एक चीज नहीं बदली की जब भी विजय बालकनी पे सिगरेट पीने जाता वो लड़की वोही पे खड़ी रहती थी।
अब धीरे धीरे विजय और उस लड़की की बातें होना शुरू हो गया। विजय को उस लड़की से बातें करके बहुत अच्छा लगता था। धीरे धीरे दोनो को एक दूसरे की बातें बहुत गहरी हो गई।
इन सारी चीजों के बीच विजय का कॉल लेटर आ गया। अब उसको नौकरी के लिए बैंगलोर जाना था। विजय ने ये बात उस लड़की को बताई और अपना सामान पैक करके अगली सुबह फ्लाइट से बंगलौर पहुंच गया वाहा उसने नौकरी ज्वाइन की और शाम को कंपनी द्वारा दिए हुए फ्लैट पे पहुंच गया। दिनभर की थकावट के बाद उसको जल्दी नींद आ गई लेकिन अगली सुबह जब वो उठा तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ ऐसा मानो ये सब कोई सपना हो ।
उसकी आंख अपने ही घर पे खुली ।वो भी अपने रूम में । वो उठकर नीचे आया तो उसके मम्मी पापा ने पूछा- “ तू कब वापस आ गया? गया भी था या नही? आ रहा था तो कम से कम फोन कर के बता देता।”
विजय इस बात से हैरान हो गया की वो सोया तो बैगलोर में था लेकिन यहां कैसे आ गया?
विजय ने अपने मम्मी पापा को ये सारी चीजे बताई की “ पापा मैं कल बंगलौर गया था मैंने नौकरी ज्वाइन की और रात में फ्लैट पे आके सो गया लेकिन पता नहीं कैसे मैं यहां पहुंच गया"
विजय के पापा और मम्मी से इस बात पे ध्यान नहीं दिया। अगले दिन फिर से बंगलौर के लिए फ्लाइट के टिकट बुक की और बंगलौर के लिए निकल लिया। फिर से पूरा दिन काम करने के बाद जब वो रूम पे आके सोया तो अगले दिन जब उसकी आंख खुली तो वो वापस से अपने घर पे था वो भी अपने ही रूम में। विजय एकदम हैरान हो गया की ये मेरे साथ क्या हो रहा है।उसने ये सारी चीजे अपने मम्मी पापा से बताई। उसके मम्मी पापा को विश्वास नही हो रहा था तो उन्होंने कंपनी वालो के पास फोन करके पूछा। ये बात सच थी की विजय कंपनी आया था और अपनी शिफ्ट पूरी करके ही गया था। रात पे कोई फ्लाइट नही थी और ट्रेन से भी इतनी जल्दी नही आया जा सकता था तो आखिर कैसे?
एक दो दिन घर पे समय बिताने के बाद विजय एक बार फिर से फ्लाइट की टिकट बुक करके बंगलौर निकल गया। वाहा वह दिनभर अपनी जॉब की और ये फैसला किया की आज वो रात में नही सोएगा। और उस रात वो जगा रहा। फिर अगले दिन कम्पनी का पूरा काम करके वो रूम पे आया। चूंकि वो एक रात और दिन का जगा होने के कारण और दिनभर काम करके थक गया था तो ना चाहते हुए भी रात में उसकी आंख लग गई और जब सुबह उठा तो क्या पाया की वो वापस से वोही आ गया अपने घर अपने रूम में।
वो परेशान होके रोने लगा की ये मेरे साथ क्या हो रहा है। जब भी मैं वाहा पे सोता हु तो मैं अपने घर पे कैसे आ जाता हु। विजय काफी परेशान रहने लगा। साथ ही साथ उसके घरवाले भी की ये सब क्या हो रहा है। विजय के पिताजी ने सलाह दी की बेटे वो नौकरी छोड़कर कोई दूसरी नौकरी ज्वाइन कर लो क्या पता सब ठीक हो जाए। विजय ने भी वोही किया उसने दूसरी नौकरी ज्वाइन की। दिनभर वो काम करता लेकिन रात में अगर वो सोता तो उसकी आंख अपने घर पे ही खुलती थी।
इस चीज को लेके विजय बहुत परेशान रहता था। एक 25 साल का लड़का जो ये सारी चीजे झेल रहा था। अभी उसकी पूरी जिंदगी बाकी थी। विजय इन सभी चीजों से इतना परेशान हो गया था की अब उसने बाहर जाना ही छोड़ दिया था।
विजय के साथ इन हादसों को देखकर अनेकों तांत्रिकों को बुलाया गया लेकिन किसी से कोई फायदा नही हुआ। फिर एक दिन एक साधु बाबा आए और उन्होंने विजय से पूछा की “ दिमाग पे जोर डालके बताओ की तुम्हारे साथ कोई घटना तो नही हुई है जो तुम्हे अजीब लगी हो" विजय ने अबतक उसकी जिंदगी में जो कुछ हुआ था उस साधु बाबा की बारी बारी से बताना शुरू किया। बात ही बात में उसने बालकनी वाली वारदात भी बताई - “ की बाबा पहले मुझे बालकनी से वो लड़की दिखाई देती थी लेकिन जब से मैं वापस आया हु वो दिखाई नही देती है". बाबा ने उस लड़की के बारे में गौर किया। उस लड़की के बारे में पता लगाया गया तो पता चला की उस लड़की की मौत तो 6 साल पहले ही हो चुकी है। बाबा ने ये बताया की तुम जिससे बात कर रहे थे वो उसकी प्रेत आत्मा थी। अब वो तुम्हे पसंद करने लगी है और बेटे इस चीज का कोई इलाज नहीं है। ये सुनकर विजय जोर जोर से रोने लगा और उस बाबा से ये पूछने लगा की कुछ तो कर सकते है? बाबा ने ये बोला की एक उपाय है लेकिन ये काम करेगा या नही ये उसे भी नही पता।
बाबा ने बोला — “ एक उपाय किया जा सका है की यदि तुम किसी दूसरे देश चले जाओ तो शायद वो आत्मा तुम्हारा साथ छोड़ दे लेकिन इसका कोई पहले से अनुमान नही है की ये उपाय कामगर ही होगा"। उसके बाद बाबा ने उसको मंत्रोचारित करके मालाएं दी।
उसके बाद विजय न्यूयॉर्क चला गया और वाहा रात गुजारी
लेकिन वाहा पे उसके साथ ऐसा कोई हादसा नही हुआ। अब विजय वोही पे नोकरी करता और कभी भी अपने घर नही गया। जब कभी मां बाप की याद आती तो उन सबको अपने वाहा ही बुला लेता।
“अब पता चला की मैने इतनी सारी मालाएं क्यों पहनी है" विजय ने मुस्कुराते हुए अरुण से बोला।
और ये कहानी सुनके अरुण मौन हो गया।
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Ankit singh
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